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ॐ उच्चारण के फायदे

ॐ शब्द की उत्पत्ति ब्रह्मांड में सबसे पहले हुई थीं, श्रृष्टि का निर्माण हुआ तब ॐ शब्द ही सबसे पहले गूंजा था। ॐ तीन शब्दों से बना है।

A u m यह त्रिदेव है ब्रह्मा विष्णु और महेश का भी प्रतीक हैं ॐ का उच्चारण करने से ये तीनों देवताओं को भी याद करते हो।सनातन धर्म में हर मंत्र के आगे ॐ लगाया जाता हैं इससे वह मंत्र का पॉवर कई गुना बढ जाता हैं। ॐ मंत्र जपने से पूरे शरीर में एक सकारात्मक ऊर्जा निर्माण होती हैं,जो शरीर के एक एक सेल को रिचार्ज करते है, जिससे एनर्जेटिक फील होता हैं। मानसिक रूप में शांति मिलती हैं, डिप्रेशन स्ट्रेस को भी दूर करता है।

ॐ का ना ही अंत है ना ही प्रारंभ हैं , यह ऐसा मंत्र है जो निरंतर गूंजता है। ॐ यह ऐसा मंत्र है जो साधक को ध्यान की गहराई में ले जाकर ब्रह्मलीन कर देता है। ॐ का उच्चारण आप रोज दो मिनिट से लेकर एक घंटा तक कर सकते हो। रोज करते करते धीरे धीरे अपना समय बढ़ाते जाइए। ॐ का उच्चारण करते वक़्त ॐ पर ज्यादा जोर दिया जाता हैं। ॐ का उच्चारण आप पूरा दिन मन ही मन भी कर सकते हो, सुबह और शाम के वक़्त भी कर सकते हो। पद्मासन, सुखासन, अर्धसुखसन में बैठकर माला या बिना माला के भी कर सकते हो।इसका आपको आपकी ज़िन्दगी में अलग ही प्रभाव दिखना शुरू हो जायेगा, इसका असर कितना और कब होगा यह साधक के विश्वास , श्रध्दा पर निर्भर है। ॐ का जप आपके माइंड बॉडी सोल तीनों के लिए फायदमंद हैं। एक कम्पन जैसा शरीर में अनुभव होता हैं, जो आपकी थायरॉयड ग्रंथि को सकारात्मक ऊर्जा मिलती हैं, दिल के मरीज रोज करे तो उन्हें भी आराम मिलता है, उच्च रक्तचाप के रोगी रोज करे तो उनका रक्तचाप सामान्य रह सकता हैं। किसी को अचानक से घबराहट हो रही हो, पसीना आ रहा हो अचानक से स्ट्रेस आ गया हो तो ॐ का उच्चारण दो मिनट करे तुरंत आराम मिलता है। पढ़ाई करने वाले विद्यार्थी भी करेंगे तो उनका पढ़ाई में कोंसेंट्रेशन अच्छा हो सकता हैं।

ॐ मंत्र के चमत्कार – जैसे आकाश हम दुनिया के किसी भी कोने में चले जाए हमें आकाश हर जगह दिखाई देता है वैसे ही ॐ मंत्र सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में फैला हुआ है। यह चौबीस घंटे बजता रहता है, यह एक अनाहत नाद है। जो ध्यान करते हैं ॐ का रोज उच्चारण करते है उन्हे ही यह नाद सुनाई देता हैं, सामान्य लोगो को सुनाई नहीं देता। हमारा शरीर जैसे पंचतत्व से बना है वहीं पंचतत्व सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में भी है, जो हमारे भीतर वहीं बाहर भी हैं।वहीं अनाहत नाद हमारे भीतर भी है बाहर भी हैं, बुस जरूरत है गहरे ध्यान में जाकर समझने की। ॐ का उच्चारण करने से हम सीधा परमात्मा से जुड़ जाते है। हमारा आभामंडल का दायरा बढ़ता जाता है, हमारे आसपास सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होने लगता है, इससे जो हमारा बुरा चाहते दिल में कुछ और उपर कुछ ,दिखावा करते वह हमारी ज़िन्दगी से अपने आप निकल जाते है। अच्छे , सकारात्मक ऊर्जावान , अच्छा चाहने वाले लोग हमसे जुड़े रहते हैं।कभी कभी नए आध्यात्मिक लोग भी हमारे ज़िन्दगी से जुड़ जाते है

ॐ को कभी भी तेज आवाज में उच्चारण करना चाहिए ,नाभि से आवाज निकालते हुए कहे।सम्पूर्ण ब्रहमांड सम्पूर्ण शरीर ॐ मय है इसे एक सच्चा साधक ही यह ध्वनि को अनुभव ध्यान की एक उच्च अवस्था में पहुंचने के बाद ही