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ध्यान का अभ्यास | Meditation Practice

भगवद्गीता में भी श्रीकृष्ण कहते हैं मन को वास्तव में नियंत्रित करना मुश्किल है। पर इसे ध्यान के निरंतर अभ्यास से काबू किया जा सकता हैं। मन में आ रहे विचारो को तो बड़े बड़े ध्यानी लोगो के लिए भी रोकना कठिन है। ये तो कई सालो के तप और अभ्यास के बाद मुमकिन हो सकता हैं। ध्यान लगाना ये एक अध्यात्मिक विधि है। हमारी अंदर बैठे ईश्वर के अंश हमारी आत्मा का परमात्मा से मिलन ही ध्यान करने का मकसद है। सम्पूर्ण शुद्धता, श्रद्धा के साथ ध्यान और परमात्मा से सच में मिलन की आसक्ति ही ध्यान के अभ्यास से ही ध्यान की गहराई में पहुंचा जा सकता हैं। निर्विचार की स्थिति होना भी एक निरंतर ध्यान करते रहने से संभव है। शून्य की अवस्था में पहुंचने के लिए स्वयं को आत्मिक मानसिक रूप से शुन्य होना पड़ता है।निर्विचार की अवस्था के लिए लोग खुद दिल दिमाग पर जोर जबरदस्ती करने लगते है । खुद के ऊपर एक दबाव देते की निर्विचार होना, इधर उधर देख सुनकर ध्यान करना प्रारंभ कर देते है, बिना कुछ जाने, समझे बिना।इस तरह से आपने एक और नए विचार को जोड़ लिया।ध्यान भी कुदरती तरीके से करने चाहिए। सबसे पहले आप जैसे हो वैसे खुद को स्वीकार करे। अपने आपको स्वीकारना ये ध्यान में उतरने का सबसे पहला कदम हैं।रोज निरंतर अभ्यास से आप ध्यान करना सीख जाओंगे, ध्यान अभ्यास करते करते शून्य की अवस्था तक पहुंच सकते है।

 

ध्यान की गहराई में पहुंचा जा सकता हैं, शरीर की आंतरिक और बाह्य सफाई के द्वारा। खुद को मानसिक और शारीिक रूप में तैयार करके। मानसिक सफाई से हमारे भीतर , हमारे दिल दिमाग किसी के लिए राग, द्वेष, घृणा ना हो। किसी के लिए मन में नकारात्मक सोच भी ध्यान लगाने मे अवरोध पैदा करेगा। ध्यान शुरू करने से पहले आप के जो भी ईष्ठ देव उन्हे याद करे, उनसे जुड़ने के लिए उनका मंत्राउच्चरण करे, ताकि आपका मन भटके नहीं इधर उधर। विचारो को फोर्स नहीं करना है रोकने के लिए, जो विचार आ रहे आने दीजिए, जाने दीजिए, विचारो में लीन ना हो पाए आपका मन, या उन विचारो की तरफ जाने लगे तो तुरंत ही मन ही मन ॐ ॐ का उच्चारण करे या को आप मंत्र जाप करना चाहते वह करिए। ऐसा करने से आपका सम्पूर्ण ध्यान मंत्र पर केंद्रित हो जायेगा।विचारो की श्रृंखला है वह धीरे धीरे कम होना शुरु हो जाएगी। धीरे धीरे ध्यान का अभ्यास करते करते एक उच्च ध्यानी बनने का तरीका ,बिल्कुल सही यहीं हैं ना कि ध्यान का मतलब खुद के ही विचारो से लड़ना, तो फिर ये तो ध्यान नही आंतरिक युद्ध हो गया।

ध्यान के लिए शारीरिक सफाई में यह देखना होगा कि किसी कारण से आपके पेट में भारी पन ना हो। हल्का और सुपाच्य भोजन लिया हो। जंक फ़ूड या हैवी खाना पचने में समय लगता है ऐसी अवस्था में ध्यान में आपका चित स्थिर नहीं हो पाएगा बेचैनी होने से , या सुस्ती थकान के कारण। नींद भी पूरी लेने की कोशिश करे, ध्यान में बैठे हुए आपको नींद आ जाएगी। भोजन, नींद और ध्यान करने की प्रक्रिया का सही तालमेल बैठना जरूरी है। कभी भी ध्यान शुरू करने के पहले प्राणायाम करे, सांसों को नाक के छिद्र से बाहर आने जाने से आंतरिक सफाई सांसों की , तथा खून भी का दौरा शरीर और मस्तिष्क में अच्छे तरह से दौड़ता है ध्यान में सफलता मिलने में आसानी हो जाती हैं।

ध्यान का अभ्यास के पूर्व का अभ्यास: ध्यान शुरू करने के पहले यदि इन सब छोटी छोटी बातो पर ध्यान देंगे तो आपको ईश्वर के करीब जाने में और आसानी होगी।

१) ध्यान का अभ्यास शुरू करने के पहले अपने आप को ध्यान की अवस्था में ढालने के लिए खुद को स्वीकार करे।
२) जरूरी नहीं आप घंटो ध्यान में बैठे ,ध्यान भी नहीं लगे सिर्फ दस मिनट का मन लगाकर ध्यान लगाना भी काफी है।
३) रोज एक ही स्थान पर,एक ही आसन पर ,एक ही समय पर ध्यान का अभ्यास करे।
४) ध्यान में बैठने से पहले कमरे में रोशनी ज्यादा ना हो, पर्दे लगे हुए हो,एकदम मंड प्रकाश में बैठे।
५) पीठ , गर्दन ,सिर एक ही सिध में सीधे तनकर बैठे, शरीर को ढीला , आढा टेढ़ा, या किसी दीवार ,किसी चीज का सहारा लेकर ना बैठे।
६) आसन पर बैठक अपने कोई भी इष्टदेव की तस्वीर सामने रखकर आंखों में एक टक देखे ,देखते देखते आंखों में एक मीठा सा एहसास होगा,आंखे बंद करते हुए इष्टदेव की तस्वीर आंखों में उतार लीजिए, इसी अवस्था में ध्यान लगाकर ध्यान की गहराई में गोते लगाए।
७) मन ही मन ॐ ॐ कहते कहते आंख बंद करके भी ध्यान लगाया जा सकता।

ध्यान क्रिया के लिए आंतरिक मानसिक सफाई भी जरूरी है। यही ध्यान के अभ्यास करते करते साधक के विचार कम होने लगते है, एक समय ऐसा आएगा की आप पूरी तरह से ब्लैंक होकर निर्विचार की अवस्था में पहुंच जाएंगे, ध्यान करना ये अध्यात्मिक प्रक्रिया है इस रास्ते पर चलना है तो धैर्य रखना बहुत जरूरी है। इसमें ना कोई सुखद परिणाम है ना ही दुखद परिणाम है। हमे हमारे कर्म तो करने ही पड़ते है, ध्यान करते रहने से हमे वह कर्मो को खत्म करने की शक्ति हिम्मत मिलती है। हम आसानी से कर्मो को मिटाते हुए कर्मो का हिसाब खत्म कर देते है। सच्चाई तो यह है कि ध्यान करने से आपमें कोई अदभुत शक्ति आ जाएगी, आप जो चाहें जैसे चाहे कर सकते ऐसा कुछ हकीकत में नहीं होता। ध्यान का अभ्यास ही, (उसमे भी कोई कह नहीं सकता कितना समय ), हमे ब्रह्मांड के सारे छिपे हुए रहस्यों से परिचित करा सकता हैं वह भी इतने अनगिनत जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता।