इन दिनों में हर साधक का मां दुर्गा की पूजा, आराधना , ध्यान साधना, करने का अपना एक उद्देश्य होता हैं। इस उद्देश्य को पूरा करने की भी प्रक्रिया है। दुर्गा मां की शक्ति को भी पूजने के दो तरीके हैं एक पूजा,नित्य पाठ करना, मंत्र जाप करना, व्रत रखना और दूसरा तरीका है इन दिनों गहरे ध्यान में जाना , मेडिटेशन करना।
नौ दिनों तक चलने वाली इस पावन पर्व पर माँ दुर्गा के नौ अलग अलग रूप की पूजा की जाती हैं। इन दिनों में की जाने वाली भक्ति उपासना का आपको सही फल कैसे मिले? क्या सही तरीका है, क्युकी कई साधक उचित फल प्राप्त करने से वंचित रह जाते हैं।
सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड हमारे शरीर के अंदर विद्यमान हैं।इस शरीर में कई छिपी हुई आंतरिक शक्तियां हैं। इन्हीं शक्तियों को नवरात्री में जप, तप ,पूजा,पाठ व्रत , ध्यान साधना द्वारा जगाया जा सकता हैं। नवरात्री के अवसर पर मां दुर्गा की कृपा से सकारात्मक ऊर्जा उपस्थित होती हैं। यही सब करके मां दुर्गा की पवित्र शक्ति से जुड़ा जा सकता हैं। पर हमारे चंचल मन की अनिश्चितता, मन के बदलते भाव के कारण मां दुर्गा की शक्ति से खुद को जोड़ नहीं पाते और जाने अंजाने कई गलतियां कर बैठते।
नवरात्री शक्ति उपासना संकल्प
मंत्र जाप संकल्प
आप किसी भी मंत्र का चुनाव करें जैसे आपको जरूरत है, जैसे धन के लिए, आरोग्य के लिए, शान्ति के लिए,ध्यान साधना सिद्धि प्राप्त करने के लिए।
पहले दिन आप जितनी माला मंत्र जाप करते हो,वह समय निश्चित करे,वह पूरे नौ दिनों तक उसका पालन करें।अपनी सुविधा अनुसार समय नहीं बदले ना ही मंत्र जाप या माला में मंत्र की गिनती को कम ज्यादा करे,पहले दिन अच्छे से किया अगले दिन कुछ किया कम किया ऐसा करना आपको आपकी भक्ति का फल प्राप्त नहीं होगा।
एक संकल्प ले की वह निश्चित समय पर आप पाठ मंत्र जाप ध्यान जो भी करना चाहते नियमपूर्वक करेंगे। ऐसा संकल्प पूरा करके आप मां दुर्गा के साथ एक पवित्र बंधन बांध रहे,एक अटूट आस्था विश्वास सर्वशक्तिमान माता का आशीर्वाद दिलाएगा।
नवरात्री शक्ति साधना.
नवरात्री शक्ति साधना सिद्धि का समय माना जाता है, इस समय आप दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते है। कुंजिका स्त्रोत का पाठ भी कर सकते हो।इससे आप के कई जन्मों का पाप मिटकर पुण्य की प्राप्ति होगी। दुर्गा सप्तशती पाठ करने से पहले नवरान मंत्र भी पढ़ना जरूरी हैं। नवराण मंत्र ये हैं”””ॐ ऐं ह्री क्लीं चामुण्डायै विच्चै”””इस बीज मंत्र में सरस्वती, लक्ष्मी,और काली माता का वास है।
भोग लगाने का मंत्र..
। नवरात्री में माता को भोग लगाते वक्त इस मंत्र से भोग लगाएं”””ॐ भैरव भाव स्वः श्री दुर्गाये नमः भोगम समर्पयामी”””इस मंत्र से भोग लगाने से सम्पूर्ण भोजन पवित्र शुद्ध होकर सब के लिए प्रसाद बन जाता हैं।
नवरात्री में व्रत का महत्व
नवरात्री का समय हमेशा ऋतु परिर्वतन का समय होता हैं। ऋतु परिर्वतन के समय हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। यही वह समय होता हैं जब कोई भी रोग हमारे शारीर में प्रवेश कर जाते है।
उपवास एक प्रकार की प्रक्रिया है शरीर की टॉक्सिन को बाहर निकालने की। जिन ऋषि मुनियों ने गंभीर तपस्या उपवास रखकर की उन्होंने कई सिद्धियां प्राप्त की है। इसमें शाश्वत आनंद समाया है। हमारे आजकल के लाइफस्टाइल के खाने की आदतों के कारण शरीर कई रोगों का घर है।उपवास से शरीर का टॉक्सिक निकलकर , शरीर डिटॉक्सिफाई हाे जाता हैं। उपवास की प्रक्रिया में ये पेट में जमा अम्ल पित्त, गैस , एसिडिटी को भी खत्म करता है। पेट साफ होने से सांसों में दुर्गन्ध, सांस लेने में समस्या, को भी कम कर सकता हैं।उपवास से पेट की जठराग्नि भी मजबूत होती हैं।
उपवास के भी नियम है यदि आप ने पहले दिन फलाहार या एक समय भोजन,एक समय फल से शुरू किया तो वहीं प्रक्रिया नौ दिन करे,इस प्रकार आप जो भी तरीके से मां दुर्गा की आराधना करोंगे सच्ची श्रद्धा से आपको ज़रूर फलदायी हो सकता हैं