shivling

शिवलिंग का रहस्य और अर्थ

शिवलिंग का लोगो ने अर्थ का अनर्थ बनाकर रख दिया है, आज तक हिन्दू धर्म में शिवलिंग को ही भगवान शिव का ही प्रतिरूप मानकर पूजा की जा रही हैं । गलत मानसिकता वाले लोग इसका गलत प्रचार करके हिन्दू धर्म का अपमान और सनातन धर्म की धज्जियां उड़ा रहे हैं, गलत कहने वाले गलत सुनने वाले दोनों ही ईश्वर को अपमानित करने वाले अपराधी है।

शिवलिंग का असली अर्थ क्या है, शिवलिंग का रहस्य क्या हैं, शिवलिंग उत्तपन क्यों हुआ ?

शिवलिंग का अर्थ है शिव का प्रतीक, अनंत है जिसका कोई अंत है ना ही शुरुआत, शिवजी हमेशा ध्यान की अवस्था में बैठे रहते , अपनी आत्मा में लीन आत्मा संतुष्टि निसंग मस्तिष्क के प्रतीक , भगवान शिव हमेशा ध्यान मग्न रहते संसार से विरक्त, ऐसे में माता पार्वती उनको जगाए रखने का काम करती हैं क्युकी भगवान शिव की संसार की विमुखता के कारण सम्पूर्ण संसार उनके प्रभुत्व से वंचित ना रहे , मंदिरों में जल चढ़ाने जाते हों आपने देखा होगा, शिवलिंग के ऊपर एक घड़े जैसे होता हैं, उस घड़े के नीचे एक छेद होता हैं, उसमे से बूंद बूंद पानी शिवलिंग पर टपकता है क्यों आपको पता है इसका कारण यह पर भी माता पार्वती घड़ा का प्रतीक है शिवजी ध्यान में मग्न, खोए रहते तो यहां पर भी माता पार्वती भगवान शिव जागृत रहे यहीं कोशिश करती हैं ताकि संसार उनके कल्याकारी दृष्टि से वंचित ना रहे, उनकी कृपा सम्पूर्ण संसार मनुष्यो पर बनी रहे।

ब्रह्मांड में दो तत्व है ऊर्जा शक्ति और पदार्थ, हमारी आत्मा ऊर्जा से भरी हैं शरीर पदार्थ से, इसी प्रकार का से शिवजी पदार्थ से और शक्ति ऊर्जा का प्रतीक बनकर शिवलिंग कहलाता हैं यही है शिवलिंग का रहस्य, ब्रह्मांड में उपस्थित सभी पदार्थ शिवलिंग में समाई हुई है शिवलिंग ब्रह्मांड का प्रतीक है और ब्रह्मांड शिवलिंग का , यही है शिवलिंग का रहस्य।

भगवान शिव को महादेव कहा जाता हैं महादेव का अर्थ है यहीं सबसे बड़े है इनसे बड़ा कोई नहीं, शिवजी अर्धनारीश्वर का भी रुप है जिसका अर्थ है स्त्री और पुरुष दोनों एक है आधे आधे , उसी तरह शिवलिंग भी भगवान शिव और माता पार्वती दोनों को मिलाकर एक रूप है, शिवजी निर्गुण निराकार परब्रह्म परमात्मा है

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